झारखंड: हजारीबाग के बड़कागांव में स्थित एनटीपीसी के कोयला भंडार में आग लगी हुई है। हालांकि, अभी यह आग नजदीक के गांवों या आसपास की कॉलोनियों तक नहीं पहुंची है, जल्द ही आग पर काबू नहीं पाया गया, तो खनन क्षेत्र के आसपास की कॉलोनियों और ग्रामीण इलाकों में यह आग लोगों को नुकसान भी पहुंचा सकती है।
कोयले के भंडार में लगी है आग
कंपनी के पीआरओ विजय जुवैल ने एक विज्ञप्ति जारी कर यह जानकारी दी है। कहा गया है कि एनटीपीसी के पकरी बरवाडीह कोयला खनन परियोजना में खनन कार्य को रोके जाने के कारण खदान से निकालकर रखे गये कोयले के भंडार में आग लग गयी है।
कोयले को जल्द हटाना जरूरी
बताया गया है कि चिरुडीह कोयला खदान से निकाले गये कोयला के डंप में आग लगी है। जगह-जगह ले धुआं उठ रहा है। अगर जल्द ही कोयले को नहीं हटाया गया, तो आग विकराल रूप धारण कर लेगा और फिर उस पर काबू पाना लगभग असंभव हो जायेगा।
खनन कार्य 2 सितंबर से बंद है
बता दें कि कोयला का खनन 2 सितंबर, से पूरी तरह से बंद है। लगभग 5.5 लाख मीट्रिक टन कोयला इकट्ठा हो चुका है। कोयले को यदि जल्दी नहीं हटाया गया, तो पूरे कोयले के भंडार में भीषण आग लग जायेगी, क्योंकि इलाके में दिन में तापमान अभी भी 35 डिग्री के आसपास रहता है।
कोयले के लगे हैं आठ ढेर
एनटीपीसी ने खान से निकले कोयले को अलग-अलग आठ ढेरों में रखा है। ऐसा इसलिए किया गया है, ताकि अगर कोई आकस्मिक दुर्घटना होती है, तो अग्निशमन के काम में आसानी हो। कोयला जलने की स्थिति में राष्ट्र की इस प्राकृतिक संपदा का नुकसान तो हो ही रहा है, पर्यावरण को भी नुकसान पहुंच रहा है।
एनटीपीसी को करोड़ों का नुकसान
कंपनी ने कहा है कि कोयला ढुलाई न होने से केंद्र सरकार को 67.71 करोड़ रुपये एवं राज्य सरकार को 31.24 करोड रुपये के राजस्व की हानि हो रही है। इस परियोजना से रोजाना 40,000 मीट्रिक टन कोयला 9 रेक में भरकर एनटीपीसी की 21 परियोजनाओं को जाता है। कोयला ढुलाई नहीं हो पाने की स्थिति में एनटीपीसी को 91.20 करोड़ रुपये का प्रतिदिन नुकसान हो रहा है। रेलवे को भी प्रतिदिन 10 करोड़ का नुकसान हो रहा है।
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