श्रम, नियोजन एवं प्रशिक्षण विभाग, झारखण्ड सरकार द्वारा जारी आदेश जिसके माध्यम से झारखण्ड में दिनांकः-1.04.2020 से परिवर्तनशील महंगाई भत्ता सहित दैनिक एवं मासिक न्यूनतम मजदूरी की दरों में बढोत्तरी की गई है से व्यापारियों व उद्यमियों को होनेवाली कठिनाईयों को देखते हुए आज फेडरेशन ऑफ झारखण्ड चैंबर ऑफ काॅमर्स एण्ड इन्डस्ट्रीज ने श्रमायुक्त रामनिवास यादव के साथ उनके कार्यालय में मुलाकात की। चैंबर ने यह प्रमुखता से कहा कि कोविड-19 के कारण देश में उत्पन्न आर्थिक संकट की चुनौतियों से निपटने में व्यापारी व उद्यमी निरंतर प्रयत्नशील है, ऐसे समय में विभाग द्वारा पूर्व की तिथि से निजी उपक्रमों/संस्थानों को महंगाई भत्ता सहित दैनिक एवं मासिक न्यूनतम मजदूरी की दरों से भुगतान करने के लिए बाध्य करना न्यायसंगत नहीं है। चैंबर अध्यक्ष कुणाल अजमानी ने कहा कि अप्रैल से अगस्त 2020 तक प्रदेश में लगभग पांच माह तक व्यवसायिक गतिविधियां शिथिल होते हुए भी स्टेकहोल्डर्स ने अपने कर्मचारियों का वेतन, पीएफ एवं ईएसआई का भुगतान कर दिया है, ऐसे में पूर्व की तिथि से महंगाई भत्ता सहित दैनिक एवं मासिक न्यूनतम मजदूरी की दरों में बढोत्तरी उचित नहीं है तथा इससे व्यापारियों व उद्यमियों पर अतिरिक्त भार पडेगा, जिसका वर्तमान परिपे्रक्ष्य में निर्वहन कर पाना संभव नहीं है। यह भी कहा गया कि सरकार की अनुमति से व्यापारिक व औद्योगिक गतिविधियां आरंभ अवश्य हुई हैं किंतु स्थिति सामान्य होने में अभी और समय लगेगा। व्यापारियों द्वारा यह प्रयास किया जा रहा है कि वे ऐसे समय में अपने प्रतिष्ठान/इकाई में कर्मचारियों की छंटनी नहीं करके, उनका रोजगार बनाये रखें ताकि वे अपने परिवार का भरण-पोषण आसानीपूर्वक कर सकें। यह सुझाया गया कि विभाग द्वारा निर्गत संबंधित आदेश में संशोधन करते हुए प्रस्तावित बढोत्तरी को अप्रैल 2021 से प्रभावी जाने हेतु आवश्यक दिशा-निर्देश जारी करें।
श्रमायुक्त रामनिवास यादव ने फेडरेशन की बातों को सुनते हुए यह आश्वस्त किया कि वे इस मामले में विभागीय मंत्री से वार्ता करेंगे। प्रतिनिधिमण्डल में चैंबर अध्यक्ष कुणाल अजमानी, महासचिव धीरज तनेजा, कार्यकारिणी सदस्य सुमित जैन एवं श्रम व मापतौल उप समिति के चेयरमेन प्रमोद सारस्वत सम्मिलित थे।
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